Wednesday, February 5, 2014

आयी झूम के बसंत

मम्मी की माँ सरस्वती में अगाध श्रद्धा और बसंत पंचमी के दिन के लिए उनका उल्लास ही मेरे लिए इस  पर्व के लिए उत्साह का कारण बना। 
 हर बार बसंत पंचमी आती थी और मै महीनो पहले से सोचती थी कि उस दिन नई पीली साड़ी पहनूँगी।
और विधिवत पूजा करुँगी माँ सरस्वती की।  मै पूजन विधि नहीं जानती। होली से फिर सीधे  दीवाली पर ही पूजा करने वालो में से हूँ मै,पहले आरती कि किताब के सहारे और अब इंटरनेट के सहारे। 
                                              

इस लिए बस हर बार बसंत पंचमी को किसी तरह से ढूंढ कर कोई पीली पोषाक पहन ली, माँ सरस्वती के सामने हाथ जोड़ लिए और हो गयी पूजा। पर मन में कसक रह जाती थी। 
लेकिन इस बार कुछ ऐसा हुआ की मेरा बरसो का ये सपना साकार हुआ। बगल वाले फ्लैट में रहने वाली शर्मा आंटी और मुम्बई से आयी उनकी बहन जी,यानि हम सब की मौसी जी की बदौलत।  

कल शर्मा आंटी ने हौसला दिया की पूजा वो कर देंगी तुम बेधड़क मनाओ बसंत पंचमी तो मैं  तैयारी  में जुट गयी। 
शर्मा आंटी बहुत ही मितभाषी, मीठे और सरल स्वाभाव की महिला हैं। आज सुबह पूजा के समय मुझ अज्ञानी ने न जाने कितनी गलतिया कि होंगी मगर मजाल जो उनके चेहरे पर शिकन भी आया हो वो बस मुस्कुरा कर कहती रही। नहीं बेटा कोई बात नहीं ठीक है। 

पूजा विधिवत रूप से पूरी हुई, उसके बाद प्रसाद वितरण और भोजन , सब में मेरा लेस मात्र  भी योगदान नहीं था। 

ये सब कार्य मेरे बहुत अच्छे दोस्तों ने संपन्न किये। मैं उन्हें इतना अपना मानती हूँ कि इस  बात में फर्क ही नहीं करती कि वो मेरे घर आयी है या मै उनके। 

 यानी  काम मैंने किये या उन्होंने क्या फ़र्क़ पड़ता है। दोस्ती है जी सब चलता है।  मैं  वैसे भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य में बड़ी निष्ठा से लगी हुई थी। 

वो ही जी अपनी पीली नई साड़ी सम्हालने में। और उसे पहन कर इतराने में। जिस से इतने दिनों से साध थी वो साड़ी उस से मिल गयी थी।


खैर जी समारोह सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।बबली तुमने ही मेरे आधे अधूरे मंदिर को पूरा किया।  प्रियंका तुम्हारी कस्टर्ड सेंवई, गुप्ता आंटी के बनाए  चटपटे आलू और मीठे केसरी चावल के प्रसाद के बगैर  मैं खाना कंहा बना पाती । 
बबली,प्रियंका और मुदिता पूरे  समय रसोई में सहायता करने,और गुप्ता आंटी और भट्ट आंटी सब अच्छे से मैनेज करने का शुक्रिया। 







शिल्पा तुम्हारे आने का और इतना प्यारा सा फ्रेंच जूड़ा बनाने का शुक्रिया मैंने अभी तक इसे नहीं खोला। ईवा,दक्षा,शोर्य और मिट्ठू ने खूब रौनक लगायी श्रेया कि तबियत ठीक  होती तो वो भी न्जॉय कर पाती , गुप्ता अंकल आप कब फूल खरीद लाये मुझे तो कुछ पता ही न चला। आप सब के इस प्यार का बहुत बहुत शुक्रिया। शर्मा आंटी पूजा करना सीखाने का एक बार फिर शुक्रिया।  आप सब के आने का शुक्रिया। जो नहीं आयें उनका  भी बहुत शुक्रिया। 
माँ सरस्वती कि कृपा हम सब पर बनी रहे। 
                                                         पारुल सिंह  

1 comment:

  1. Devi apne to pooja ko chirmayi ghatna mein basal diya. Hymns bhi her sal poojan kar nirnay kar liya hai.apki upasthati atiavashyak raheg

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